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January - March 2023

श्रीअन्नपूर्णास्तोत्रम् – Back Cover

श्रीअन्नपूर्णास्तोत्रम्

 

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी

निर्धूताखिलघोरपापनिकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ १॥

 

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी

मुक्ताहारविलम्बमान विलसत् वक्षोजकुम्भान्तरी ।

काश्मीरागरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ २॥

 

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी

चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।

सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ३॥

 

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी

कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।

मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ४॥

 

दृश्यादृश्य विभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी

लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।

श्रीविश्वेशमनः प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ५॥

 

उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताऽन्नपूर्णेश्वरी

वेणीनीलसमानकुन्तलधरी नित्यान्नदानेश्वरी ।

सर्वानन्दकरी सदाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ६॥

 

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी

काश्मीरा त्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी ।

कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ७॥

 

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी

वामे स्वादुपयोधरा प्रियकरी सौभाग्य माहेश्वरी ।

भक्ताभीष्टकरी सदाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ८॥

 

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी

चन्द्रार्काग्निसमानकुण्डलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी ।

मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ ९॥

 

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी

साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी ।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ १०॥

 

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।

ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि पार्वति ॥ ११॥

 

माता च  पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः ।

बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥ १२॥

 

॥ इति श्रीआदिशङ्करभगवत्पादकृतं अन्नपूर्णास्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥